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जगन्नाथदास रत्नाकर वाक्य

उच्चारण: [ jeganenaathedaas retnaaker ]
उदाहरण वाक्यमोबाइल
  • जगन्नाथदास रत्नाकर बी. ए., पंडित माधाव राव सप्रे बी. ए., पंडित रामराव
  • इसके सम्पादक थे-जगन्नाथदास रत्नाकर, श्यामसुन्दर दास, राधाकृष्णदास, कार्तिक प्रसाद और किशोरी लाल।
  • इसके अतिरिक्त कुछ समय तक इसका संपादन जगन्नाथदास रत्नाकर और ब्रजरत्नदास भी करते रहे।
  • इसके अतिरिक्त कुछ समय तक इसका संपादन जगन्नाथदास रत्नाकर और ब्रजरत्नदास भी करते रहे।
  • अशोक चव्हाण का चेहरा देख कर हमें कवि जगन्नाथदास रत्नाकर की लंबी कविता ‘
  • वहां से यह जो भ्रमरगीत परंपरा शुरू की जाती है, वह जगन्नाथदास रत्नाकर तक चलती है।
  • इसके सम्पादक मण्डल में बड़े-बड़े साहित्यकार-बाबू जगन्नाथदास रत्नाकर, बाबू राधाराम, राय कृष्णदास, बाबू कीर्तिप्रसाद धे ।
  • महाकवि सूरदास ने इस प्रसंग को विस्तार दिया और बाद में ब्रजभाषा के कवि जगन्नाथदास रत्नाकर ने जन-जन तक पहुंचाया।
  • इसके सम्पादक मण्डल में बड़े-बड़े साहित्यकार-बाबू जगन्नाथदास रत्नाकर, बाबू राधाराम, राय कृष्णदास, बाबू कीर्तिप्रसाद धे ।
  • जगन्नाथदास रत्नाकर ने इन्हें बुलंदशहर का निवासी माना है और श्री बहुगुणा के विचार में ये कोट-हीसिर के रहने वाले थे ।
  • इसके सम्पादक मण्डल में बाबू राधाकृष्ण दास, बाबू कार्तिका प्रसाद खत्री, जगन्नाथदास रत्नाकर, किशोरीदास गोस्वामी तथा बाबू श्यामसुन्दरदास थे ।
  • अशोक चव्हाण का चेहरा देख कर हमें कवि जगन्नाथदास रत्नाकर की लंबी कविता ‘सत्य हरीश्चन्द्र ' का एक अंश याद आ गया जो इस प्रकार है-
  • मैथिल कवि विद्यापति, चंडीदास, सूरदास, नंददास आदि प्राचीन कवियों ने ; भारतेंदु हरिश्चंद्र और जगन्नाथदास रत्नाकर आदि इधर के कवियों ने उपालंभ काव्य का पर्याप्त प्रयोग किया है।
  • अशोक चव्हाण का चेहरा देख कर हमें कवि जगन्नाथदास रत्नाकर की लंबी कविता ‘सत्य हरीश्चन्द्र ' का एक अंश याद आ गया जो इस प्रकार है-कीन्हे कम्बल बसन तथा लीन्हें लाठी कर ।
  • हमको लिख्यो है कहा … जगन्नाथदास रत्नाकर की रचना ‘ उद्धव शतक ' में उ (व कृष्ण की पाती लेकर गोकुल में आते हैं तो कृष्ण के विरह में तड़पती गोपियों उन्हें घेर लेती हैं।
  • आधुनिक काल के कवियों में जगन्नाथदास रत्नाकर के ग्रंथ गंगावतरण में कपिल मुनि द्वारा शापित सगर के साठ हज़ार पुत्रों के उद्धार के लिए भगीरथ की ' भगीरथ-तपस्या' से गंगा के भूमि पर अवतरित होने की कथा है।
  • आधुनिक काल के कवियों में जगन्नाथदास रत्नाकर के ग्रंथ गंगावतरण में कपिल मुनि द्वारा शापित सगर के साठ हजार पुत्रों के उद्धार के लिए भगीरथ की ' भगीरथ-तपस्या' से गंगा के भूमि पर अवतरित होने की कथा है।
  • आधुनिक काल के कवियों में जगन्नाथदास रत्नाकर के ग्रंथ गंगावतरण में कपिल मुनि द्वारा शापित सगर के साठ हज़ार पुत्रों के उद्धार के लिए भगीरथ की ' भगीरथ-तपस्या' से गंगा के भूमि पर अवतरित होने की कथा है।
  • आधुनिक काल के कवियों में जगन्नाथदास रत्नाकर के ग्रंथ गंगावतरण में कपिल मुनि द्वारा शापित सगर के साठ हजार पुत्रों के उद्धार के लिए भगीरथ की ' भगीरथ-तपस्या ' से गंगा के भूमि पर अवतरित होने की कथा है।
  • पद्माकर के बाद कुशल मिश्र, अखैराम, रसिक सुन्दर, लेखराज आदि अनेक कवियों ने गंगा की महिमा का गान किया है, किंतु आधुनिक काल के दो प्रमुख कवियों-भारतेंदु हरिश्चन्द्र और जगन्नाथदास रत्नाकर ने देव नदी के विविध रूपों का जिस रोचक शैली में वर्णन किया है वह निश्चय ही श्लाघ्य है।

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